किल्लर किश्तवार वाया साच पास
ये एक अदभुत अकाल्पनिक और रोंगटे खड़े कर देने वाली ट्रिप थी. जल्दी ही इसकी यात्रा आपको करवाएंगे
अभी इसका ट्रेलर निकाला है उमीद करते है आपको पसंद आएगा।
अपनी राय youtube पे जरूर दे।
देखने में ही अच्छा लगता है जब इसपे चलते है तो पूछो मत -
अगले दिन सुबह एक झटके से नींद खुली और सीधा टाइम देखा अरे ये क्या
6:30 हो गए, लेकिन कैसे ?? फिर पता लगा योगेश ने अलार्म बन्द कर दिया था
क्योंकि उसको जल्दी उठना पसंद नहीं है, उसकी इस हरकत की वजह से हम काफी लेट हो गए , अब हमें समय बचाना था
तो जल्दी जल्दी करके 7:15 पे निकल गए नास्ता किया और यात्रा चालू की लेकिन
यात्रा पे निकलते ही बारिश चालू हो गयी जो हमारी यात्रा की सबसे बड़ी
परेशानी थी या ऐसे बोलू की हर पहाड़ी यात्रा की सबसे बड़ी परेशानी बारिश हो
जाती है अब यात्रा तो करनी है सो भोले बाबा का नाम लेके पोंचू पहन के
यात्रा चालू कर दी।
पहला भाग पढ़ने के लिए यहाँ देखे MANIMAHESH YATRA PART-1
थोड़ी देर चलने के बाद ही हमे अहसास हो गया था कि यात्रा आसान नहीं रहेगी,
क्योंकि जो भी वापस आया सबने बताया कि रास्ता बहुत ख़राब हो गया है। 14 किमी का रास्ता अब बढ़कर 18 -19 किमी का हो गया था। नीचे
का रास्ता बादल फटने की वजह से बह गया था और ऊपर का रास्ता बहुत मुश्किल था,
ऊपर से बारिश की वजह से फिशलन बाप रे बाप हालात खराब हो गयी थी, योगेश तो
बहुत सुस्त हो गया था धीरे धीरे करके हम ऊपर चढ़ रहे थे. ये फालतू की चढ़ाई हौसला तोड़ रही थी, जिसके वजह से
हमे तक़रीबन 4 किमी ज्यादा चलना पड़ा वो भी सीधी खड़ी चढ़ाई पे तो हालात तो ख़राब हो गये , रास्ता ऐसा था मानो अभी गिरे - अभी गिरे, बादल की वजह से जिस रस्ते पे जाना पड़ा वो बिलकुल भी अच्छा नहीं था निचे वाला रास्ता अच्छा था और छोटा भी पर उसमे 300 मीटर का कट हो गया था, तो उसे बंद कर दिया गया । अब इस रस्ते में बहुत जगह कीचड़ और ऊपर से सीधी खड़ी चढ़ाई और वो भी घने जंगल में, पुरे रस्ते में कही पैर सीधा करने की जगह नहीं थी , कसम से किनर कैलाश की याद आगयी, पर वहाँ बारिश नहीं थी तो बचत थी यहाँ बारिश ने हालात बतर बना दिए थे। जैसे तैसे करके ऊपर वाले रास्ते से होते हुए हम नीचे आ गये निचे आने पे हम एक ढाबे पे रुके और वहाँ कल वाले गुजरती थेपले और दही जो की हम सुबह साथ लाये थे
खा लिया जैसे ही पेट में कुछ गया शरीर में जान आ गयी अब वापस लगा की आज
यात्रा कर ही लेंगे
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हालात देखो रस्ते की एक आदमी भी चल नहीं सकता यही बादल फटा था |
गोरी कुंड में मणिमहेश रास्ता |
मणि महेश कैलाश
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लैंड शलैड
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हड़सर ग़ाव
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हड़सर शाम की घुमाई का फोटो
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राकेश बिश्नोई |