Wednesday, 7 September 2016

मणि महेश ( MANIMAHESH KAILASH 2016 ) यात्रा 2016 भाग -1


                                                मणि महेश यात्रा 2016 भाग - 1

मणि महेश कैलाश 
मणिमहेश यात्रा भाग -1                                           
पहला दिन - दिल्ली से हड़सर 

                      दोस्तों राम राम, ये मेरा पहला यात्रा वर्तान्त है उमीद करता हु आप लोगो को पसंद आएगा, सभी घुमक्कड़ ब्लॉगर साथीयो से आशा है की आप मेरा मार्गदर्शन करोगे और ब्लॉग को अछी तरह लिखने में सहायता करोगे।  
        इस साल के सुरु से ही सोच रहा था की इस साल हर बार से ज्यादा यात्रा करनी है तो इसी कोशिस में मौका आया मणि महेश यात्रा का, जैसा की जाट देवता ने पाहले ही  बता दिया की था जब यात्रा चालू हो उससे १०-१५ रोज पहले अपनी यात्रा कर लेना तो आसान रहेगा और  किसी सयाने बन्दे ने सही कहा है की समझदार को हमेसा गंभीरता से और पागल की बात को हमेशा हलके में लेना चाहिए और जाट  देवता तो गुरु है अपने....  सो हमने हमारी यात्रा सुरु की 5 को दिल्ही से शाम को 8 बजे हिमाचल रोडवेजः से। .. वैसे हम ५ लोग जाने वाले थे लेकिन हमेसा की तरह लास्ट टाइम पे सबको कुछ न कुछ काम आ हि जाता है तो मैं अकेला ही निकल गया एक हिमाचल के भाई के साहारे जो मुझे अपनी बाइक के साथ बनीखेत मिलने वाला था। 
                        बस की बुकिंग हमेसा की तरह पहले ही करवा ली गयी जल्दी जल्दी करके बस के समय कश्मीरी गेट बस स्टैंड पहुँच गया , वैसे चम्बा रूट की बसों में ज्यादा भीड़ नहीं होती है तो २ सीट पे फेल के सो गया मस्त नींद आयी. अगले दिन सुबह डलहौसी से पहले एक ढाबे पे बस रुकी तो नींद खुली फिर पसंदीदा चाय का आनद लिया, लेकिन एक चिंता मन में सताने लगी थी वो थी मौसम की, ढाबे वाले ने बताया की वाहा 2 -3 दिन से लगातार बारिश हो रही है और मेरा प्रोग्राम था बनीखेत से बाइक से हड़सर होते हुए धनछो  तक जाने का। .. सो चिंता होना लाजमी था पर अब क्या कर सकते थे चूँकि बारिश बहुत हो रही थी सुबह से ही तो वो भाई भी लेट निकला उसको पालनपुर के पास से आना था तो समय लगना लाजमी था मैं बनीखेत में उत्तर के फ़्रैश हो गया और व्ययाम कर लिया जिससे यात्रा में आसानी रहे फिर अखबार पढ़ कर उसका इंतज़ार करने लगा वो भाई 10 बजे पंहुचा 
                           अब सबसे पहले भाई से परिचय ये भाई हिमाचल का रहने वाला है पर ज्यादा नहीं घूमता है नाम है योगेश मेरे साथ ३-4 यात्रा कर चूका है और मुझ पे विश्वास करता है उमीद है हमारा विश्वास बना रहे। 
              योगेश और मैंने सबसे पहले नाश्ता किया जिसमे की गोविन्द भाई साहब ने माँगा के दिए थेपला और दही लोकल ले लिए था साथ में लहसन की चटनी जो की मयूर भाई ने भेजी थी और आलू परांठा जो की योगेश लाया था साथ में, मस्त नास्ता करके आगे की यात्रा की तैयारी चालू की. बारिश लगातार चालू थी और मेरा नाक भी , बहुत जायद छींक आरही थी तो में  डॉ के पास और वो भाई पनि ढूंढने निकल लिए सारी तैयारी करके हमने यात्रा चालू करने बाइक पे बैठ गए, लेकिन तभी पता चला की बाइक की चाबी खो गयी और  कही नहीं मिल रही है , शायद कोई उठा के ले गया होगा एक लड़के पे शक था जो थोड़ा भोला था १२-१३ साल का होगा वो, जिसको हमने परांठा खिलाया था पर वो भी गायब, फिर हमने किसी मैकेनिक को दिखा के बाइक का डारेक्ट शॉर्ट किया २०० रु  खर्चा भी लग गया फालतू में और १ घण्टा भी। 

          फिर हमने यात्रा चालू की पर मेरे दिमाक में अभी भी चाबी  चल रही थी लगभग ५ किमी चलने के बाद मुझे याद की चाबी शायद मैंने कचरे में देखि थी और योगेश ने कचरा सीधा फेंक दिया था फिर क्या हमे बाइक घुमाई और वापस बनीखेत, कचरे में चाबी मिल गयी तो साँस में साँस आयी, सबसे पहले जाके पेट्रोल भरवाया, क्योंकि चाबी बिना बाइक तो चालू हो गयी थी लेकिन टैंक नहीं खुलता, चलो जो हुआ शायद अछे के लिए ही हुआ होगा यही सोच के यात्रा चालू की 

        बारिश अन्वरत चालू ही थी ठण्ड के मरे हालात ख़राब हो रहे थे योगेश भाई तो चाय भी नहीं पिता और मुझे तो ठण्ड में चाय चाहिए थी सो ५० किमी बाद ही चाय के ढाबे पे रुक गए चाय ली लेकिन इतनी ख़राब की एक गुंट भी न पि गयी पैसे दिए और आगे बढ लिए ,फिर हम धीरे धीरे चलते चलते एक छोटी टनल में से चमेरा -3  डैम पहुँच गए रास्ता काफी ख़राब था शायद बारिश की वजह से आगे लैंड स्लइड हो रहा था तो हम वही रुक गए बाबा रामदेव की नूडल्स खायी और इंतज़ार करने लगे वहा हमारी मुलाकात PWD के इंजिनियर से हुयी उसने बोला मैं आपको बाइक के लिए रास्ता  बना दूंगा १० मिनट रुक जायो बस ठीक है भाई और तो कर भी क्या सकते है नूडल्स  खाते टाइम इंजिनियर बाबु ने हमे मणि महेश के  दर्शन भी करवा दिए उसी ने बताया की ये वही जगह है जहा से मणि महेश के पहले दर्शन होते है शानदार नजारा था  उसने हमें डरा दिया  मौसम बहुत ख़राब है आपको कुछ दिन बाद आना चाहिए अभी दर्शन करना बहुत मुश्किल होगा , कोई ना भाई अब आगये है कोशिस तो करना बनता  है 
लैंड शलैड 
       
        वहा से रास्ता खुलते ही हम निकल पड़े आगे के लिए तब तक बारिश भी रुक गयी थी यहाँ हमारे साथ एक अद्धभुत घटना घटी। ..... हम दोनों दोस्त बाइक पे मस्ती में गाना गाते हुए जा रहे थे धीरे धीरे रास्ता ख़राब था तो स्पीड काम ही थी तभी सामने से एक बूढे आदमी और औरत ने बाइक रोकने का  इशारा किया तो हम रुक गए बोला मस्त आवाज है आपकी (योगेश) फिर बोला हमारे पोते को भी ले जायो साथ और बिठा दिया दोनों के बिच , हम तो सोचते ही रह गए वो  साल का बच्चा हमे ऐसे कैसे दे सकते है बच्चा भी मस्त था हमने उसको ३ किमी आगे एक बस स्टॉप पे छोड़ दिया एक महिला के पास जो उनको जानती थी फिर हमे समझ आया की उन लोगो से चला नहीं जा रहा था और बच्चा जिद्द कर रहा था कंधे पे बैठने की तो उन्होंने उससे हमे दे दिया आगे छोड़ने को लेकिन वो छोड़ने का कहना भूल गए। ........ इस बात ने हमे विश्वास दिला दिया की पहाड़ी लोग विश्वास पे ही जीते है और मैदानी लोग विश्वास करवा के तोड़  देते है इसी लिए मैदानों में  कोई किसी का विश्वास नहीं करता और पहाड़ो में सब सब पे विश्वास करते है चलो हम जैसे तैसे हड़सर पहुँच गए 
हड़सर  ग़ाव 

     हड़सर पहुँचने के बाद सबसे पहले  रास्ता पता किया तो पता चला की आज ही बादल फटा है और आगे  रास्ता बंद है।कल सुबह तक शायद नया रास्ता जो की घोडे वाला रास्ता है पैदल  वालो के  लिए चालू हो जायेगा, तो हमने फिर रात वही रुकने का  फैसला किया और वहा पे ठेकेदार जी के होटल में रुक गए 300 रु लिए एक कमरे के  गरम पानी और अछे बिस्तर मिल गए  और शरीर को आराम भी , रात को खाना खाते  समय सब लोगो ने बोला की बारिश बहुत हो  रही है ध्यान से जाना और आने  जाने में २ दिन का टाइम लगेगा तो हमे चिंता हो गयी मंगलवार को ऑफिस जाने की, सब को बोल के आये थे सोमवार वापसी आजायेंगे लेकिन अब कैसे आएंगे यही सोचते सोचते सोने की तैयारी  करने लगे। मैंने अलार्म लगा दी सुबह ५ बजे की और सो गया
हड़सर शाम की घुमाई का फोटो 


17 comments:

  1. बहुत अच्छा वर्णन,बहुत सुन्दर फोटो
    राकेश जी बहुत बहुत बधाई आपको अपना ब्लॉग प्रारम्भ करने के लिए

    ReplyDelete
  2. बहुत अच्छा, राकेश जी इसको जारी रखिये ,आगे की यात्रा वर्णन का इंतजार रहेगा

    ReplyDelete
  3. ब्लाॅग की दुनिया में स्वागत है।

    ReplyDelete
  4. ब्लाॅग की दुनिया में स्वागत है।

    ReplyDelete
  5. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  6. लाजवाब, बेहतरीन । ऐसे लग रहा है हम भी मणि महेश की यात्रा कर रहे हैं । कोई कह नही सकता की पहली बार लिखा है । ब्लॉग की दुनिया के इस सफर के लिए शुभकामनाये ।

    ReplyDelete
  7. बहुत बढिया वर्णन

    पहाड़ी लोग बहुत भरोसा करते हैं सभी पर।

    मेरी भी सही जोड़ी बन जायेगी आपके साथ मैं भी चाय पीता हूँ।😊

    ReplyDelete
  8. बहुत बढिया वर्णन

    पहाड़ी लोग बहुत भरोसा करते हैं सभी पर।

    मेरी भी सही जोड़ी बन जायेगी आपके साथ मैं भी चाय पीता हूँ।😊

    ReplyDelete
    Replies
    1. THANKS
      KYA BAAT HAI ... OR PAHADO ME CHAI KA AAPNA HI MAZA HAI

      Delete
  9. ब्लॉग जगत में मैं संजय भास्कर आपका स्वागत करता हूँ
    बहुत बढिया वर्णन

    ReplyDelete
    Replies
    1. DHANYWAAD SANJAY JI
      VESE AAPNA BIRTHDATE SAME HI HAI 3RD SEPTEMBER

      Delete
  10. राकेश जी बहुत सुंदर आरम्भ। आराम से यात्रा करवाइये। यागेश जी की नीली , लाल परी नहीं दिखाई।


    ReplyDelete
    Replies
    1. lal pari hai per barish ki vajah se photo nahi le paye .... iss yatra me abhut kam photo hi le paye hai hum

      Delete
  11. शानदार

    ReplyDelete