sach pass bike trip planing -
इस बार ये कीड़ा सनी भाई को कटा और दुनिया की सबसे मुश्किल रोड के सफर का प्रस्ताव लेके आये, मैंने इसी साल जून में साच पास किया था तब सोचा था दुबारा जरूर आयूँगा और पूरी रोड क्रॉस करूँगा अब मौका आया तो मैं 1 मिनट देरी किये बिना तैयार हो गया लेकिन शायद सनी भाई तैयार नहीं थे कुछ कहानी हो गयी और प्रोग्राम फिर लटक गया. कुछ दिन बाद सनी भाई ने एक और कोशिश की लेकिन वो भी कामयाब नहीं हुयी तो मुझे लगा शायद सनी भाई ज्यादा सिरियस है नहीं बस प्लान बना के ही रखना चाहते है पर सनी भाई को कीड़ा बहुत जोर से कटा हुआ था और वो बैठने वालो में से है नहीं, काफी मेहनत के बाद जाना तय हुआ 30 नवंबर को 2 दिसम्बर को सच पास पहूंचना था। मेरा कुछ काम भी था ड़लहौजी में तो मुझे उमीद जागी की ये ट्रिप तो पूरी हो ही जायेगा साथ में काम भी, पर इस बार मैं प्रोग्राम कैंसिल करने के मूड में न था इसीलिए सनी भाई को अच्छी तरह से फ़ोन पे ही समझ दिया धमका भी दिया की कहानी नहीं होनी चाहिए भाई, अब जबान दी है तो चलना ही पड़ेगा और एक बार कोई जबान देके जाये नहीं तो उसकी बात पे मैं दुबारा विश्वास नही करता। भाई ने तुरंत ही बात को समझ कर यात्रा ग्रुप में पोस्ट कर दिया और बाकि जगह भी राय मांगने को, और कोई साथी तैयार हो चलने को तो उसको भी घुमा लाये,
यही एक नए साथी मिले धीरेंद्र। यही दोनों लोगो और योगी भाई इस यात्रा को कामयाब करने वाले लोग है जिनकी वजह से इतनी मुश्किल यात्रा सहकुशल ओर यादगार तरीके से पूरी की । इसी दौरान लोगो ने डराने की पूरी कोसिस भी की, एक भाई में तो सनी को फेसबुक पे कमाल का लिख दिया " if you are not only sun then you should go" खेर यहाँ से वापस जाके तो उसकी बात सही लगी पर उस टाइम हमने इसे एक चैंलेंज की तरह लिया था और इस यात्रा को पूरा करके दिखाना ही था ।
अब हमारा प्रोग्राम फाइनल हो गया सनी और धीरेंद्र मेरठ से बाइक पे डलहौज़ी आएंगे और मैं बस से सीधा उनको वही मिलूंगा। मैंने 30 नवम्बर रात को दिल्ली से डलहौजी की बस बुकिंग करवा ली और बाइक डलहौजी से मेरे दोस्त से ही किराये ले ली और सनी भाई ने बाइक की व्यवस्था आपने नोएडा के एक दोस्त से कर ली धीरेन्द्र भाई के पास तो खुद की बाइक है, सनी भाई ने बाइक लेने और कुछ नगद की व्यवस्था करने गुड़गांव आना था तो सोचा मुलाकात भी कर लेंगे क्योंकि अब तक हममे से कोई भी एक दूसरे से ना मिले थे सोचा कुछ जान पहचान हो जाएगी साथ में बाइक के लिए बैग भी दे दूँगा जोकि उनको सामान रखने के लिए चहिये थे, पर ये दिल्ली है मेरे दोस्त यहाँ मुलाकात समय से नहीं यातायात की व्यवस्था पे निर्भर करती है, हुआ यु की सनी भाई सुबह निकले मेरठ से नोएडा से बाइक ली और फिर गुड़गांव आये इतने में ही उनको शाम हो गयी और मेरी बस का समय भी हो गया तो मुलाकात ना हो सकी। मैंने यहाँ वाहा से कुछ नगद का जुगाड़ कर लिया और बस के लिए निकल पड़ा ।
छोटे बैग पैक और 1 ड्रेस, अब बैग में सबसे पहले खाने के लिए सामान रखा जैसे काजू बादाम और लंबे समय तक एनर्जी देने वाला फ़ूड आइटम, छोटा पर ताकतवर ये शब्द हर सामान के लिए जरुरी है जैसे छोटा पर मजबूत हथोडा, छोटी पर मजबूत रस्सी, छोटी पर बढ़िया टोर्च, मेडिकल किट, बीएसएनएल की पोस्टपेड सिम डाला हुआ बड़ी बैटरी वाला छोटा मोबाइल, बहुत बढ़िया क्वालिटी के दस्ताने जो वाटरप्रूफ और विंडप्रूफ़ हो, बढ़िया फुल हेलमेंट जिसका मुँह भी खुलता हो, एंटी स्किड वाटरप्रूफ जूते, इनर, जैकेट और बाइकर कार्गो, मास्क, पोंचू, नगद 20 हजार रुपये, id बाइक के पेपर और लाइसेंस, 2 बैट्री बैंक,मोबाइल, अल्टीमीटर घडी इत्यदि
अब हमारा प्रोग्राम फाइनल हो गया सनी और धीरेंद्र मेरठ से बाइक पे डलहौज़ी आएंगे और मैं बस से सीधा उनको वही मिलूंगा। मैं तो डलहौज़ी सुबह 6 बझे पहुँच गया और आपने काम करके 11 बझे फ्री हो गया लेकिन सनी भाई 2 घण्टे लेट हो गए सुबह 3 की जगह 5 बजे निकले घर से तो उनको 12 बजे मिलने की जगह 3 बज गए डलहौज़ी आते आते और मेरी हालात खराब हो गयी इंतज़ार करते करते । वैसे उनकी हालत भी ख़राब हो गयी जब लगातार 500 किमी की यात्रा करके मेरे पास पहुंचे, मेरठ से डलहौजी काफी थकान वाला सफर है ये, खेर मैने तो किया नहीं तो ज्यादा ना बता पायूँगा, फिर हमने चाय पी और साथ में बिस्किट मेरे फ़ेवरेट कैफ़े पे, और साथ में मुलाकात की अरे मतलब परिचय, हम सब के परिचय हो जाने के बाद हम निकले पहले दिन के ठिकाने की और वैसे मैंने भी सनी और धीरेंद्र के साथ अच्छा नहीं किया उनको खाना खिलाये बिना ही आगे बढ़ने पे मजबूर किया जबकी सुबह से उन्होंने कुछ खाया भी नहीं था पर क्या करते बैरागढ़ बहुत दूर था और रास्ता भी सही नहीं था तो रात में ज्यादा चलाने से समस्या होनी थी 4 बज गए थे और मेरा एक उसूल है रात में 9 बजे के बाद किसी भी हालत में बाइक नहीं चलानी है तो समय के हिसाब से स्पीड खेंच ली ।
यही पहला पर्चा मिला सनी भाई का, मैंने तो यहाँ से बाइक चालू की थी और सनी भाई सुबह से ही चला रहे थे तो स्पीड उनके अंदर घुस चुकी थी बाइक पे बैठते ही वो तेज़ी से आगे निकल गए । लो भाई हो गया काम सनी भाई रास्ता जानते नहीं थे और मुझे लग रहा था कि ये जरूर गलत रास्ते पे ही जाएंगे और मेरी स्पीड इतनी तेज़ नहीं होती की मैं उनको पीछे जा के पकड़ सकू, पहला कट बनीखेत से 10 किमी बाद आता है एक रास्ता चम्बा की और और दूसरा रास्ता डैम की और जाता है और वो इसी कट से वो सीधा निकाल गए जबकि हमे नीचे चमेरा डैम की और जाना होता है मैंने देख लिया हॉर्न भी बजाया पर कहा सुनते वो चलो भाई निकालो फ़ोन अभी तो नेटवर्क है तो फ़ोन से काम चल जायेगा पर आगे ये गलती न हो इस लिए समझाना पड़ेगा नहीं तो समस्या आ जायेगी , भाई काफी आगे जाके रुके और फ़ोन देखते ही समझ गए की कोका हो गया है वापस जाना पड़ेगा । जब तक वो मोड़ पे वापस आये में दूसरे रस्ते पे आगे बढ़ गया , उनकी स्पीड काफी थी तो मुझे उनका इंतजार करने की जरूरत नहीं थी उन्होंने मुझे पकड़ ही लेना है यही सोच के में 5-6 किमी निकल गया अब मैं डैम पर पहुँच गया था और यहाँ भी 2 रास्ते है एक डेम के ऊपर से और एक सीधा जो 7 किमी का चक्कर है तो यही मैंने उनका इंतजार करने का सोचा साथ में आप के लिए 2-4 डैम के फोटो भी ले लिये
इस बार ये कीड़ा सनी भाई को कटा और दुनिया की सबसे मुश्किल रोड के सफर का प्रस्ताव लेके आये, मैंने इसी साल जून में साच पास किया था तब सोचा था दुबारा जरूर आयूँगा और पूरी रोड क्रॉस करूँगा अब मौका आया तो मैं 1 मिनट देरी किये बिना तैयार हो गया लेकिन शायद सनी भाई तैयार नहीं थे कुछ कहानी हो गयी और प्रोग्राम फिर लटक गया. कुछ दिन बाद सनी भाई ने एक और कोशिश की लेकिन वो भी कामयाब नहीं हुयी तो मुझे लगा शायद सनी भाई ज्यादा सिरियस है नहीं बस प्लान बना के ही रखना चाहते है पर सनी भाई को कीड़ा बहुत जोर से कटा हुआ था और वो बैठने वालो में से है नहीं, काफी मेहनत के बाद जाना तय हुआ 30 नवंबर को 2 दिसम्बर को सच पास पहूंचना था। मेरा कुछ काम भी था ड़लहौजी में तो मुझे उमीद जागी की ये ट्रिप तो पूरी हो ही जायेगा साथ में काम भी, पर इस बार मैं प्रोग्राम कैंसिल करने के मूड में न था इसीलिए सनी भाई को अच्छी तरह से फ़ोन पे ही समझ दिया धमका भी दिया की कहानी नहीं होनी चाहिए भाई, अब जबान दी है तो चलना ही पड़ेगा और एक बार कोई जबान देके जाये नहीं तो उसकी बात पे मैं दुबारा विश्वास नही करता। भाई ने तुरंत ही बात को समझ कर यात्रा ग्रुप में पोस्ट कर दिया और बाकि जगह भी राय मांगने को, और कोई साथी तैयार हो चलने को तो उसको भी घुमा लाये,
यही एक नए साथी मिले धीरेंद्र। यही दोनों लोगो और योगी भाई इस यात्रा को कामयाब करने वाले लोग है जिनकी वजह से इतनी मुश्किल यात्रा सहकुशल ओर यादगार तरीके से पूरी की । इसी दौरान लोगो ने डराने की पूरी कोसिस भी की, एक भाई में तो सनी को फेसबुक पे कमाल का लिख दिया " if you are not only sun then you should go" खेर यहाँ से वापस जाके तो उसकी बात सही लगी पर उस टाइम हमने इसे एक चैंलेंज की तरह लिया था और इस यात्रा को पूरा करके दिखाना ही था ।
अब हमारा प्रोग्राम फाइनल हो गया सनी और धीरेंद्र मेरठ से बाइक पे डलहौज़ी आएंगे और मैं बस से सीधा उनको वही मिलूंगा। मैंने 30 नवम्बर रात को दिल्ली से डलहौजी की बस बुकिंग करवा ली और बाइक डलहौजी से मेरे दोस्त से ही किराये ले ली और सनी भाई ने बाइक की व्यवस्था आपने नोएडा के एक दोस्त से कर ली धीरेन्द्र भाई के पास तो खुद की बाइक है, सनी भाई ने बाइक लेने और कुछ नगद की व्यवस्था करने गुड़गांव आना था तो सोचा मुलाकात भी कर लेंगे क्योंकि अब तक हममे से कोई भी एक दूसरे से ना मिले थे सोचा कुछ जान पहचान हो जाएगी साथ में बाइक के लिए बैग भी दे दूँगा जोकि उनको सामान रखने के लिए चहिये थे, पर ये दिल्ली है मेरे दोस्त यहाँ मुलाकात समय से नहीं यातायात की व्यवस्था पे निर्भर करती है, हुआ यु की सनी भाई सुबह निकले मेरठ से नोएडा से बाइक ली और फिर गुड़गांव आये इतने में ही उनको शाम हो गयी और मेरी बस का समय भी हो गया तो मुलाकात ना हो सकी। मैंने यहाँ वाहा से कुछ नगद का जुगाड़ कर लिया और बस के लिए निकल पड़ा ।
परिचय -
हम सब अगले दिन मिले थे डलहौजी में पर आप लोगो को यात्रा के पहले दिन ही मैं सबका परिचय करवा देता हू वैसे तीनो भाई अद्धभुत खासियतों वाले थे पर जो जो में देख पाया जितना देख पाया उसके हिसाब से यहाँ वर्णन कर रहा हू -1. धीरेंद्र भाई
वाह लाजवाब सख्सियत जैसा नाम वैसा भाई पूरी चलती फिरती दुकान है रॉयल एनफील्ड की सारे मुख्य पार्ट साथ ही रखते है यहाँ तजुर्बा बोलता है , बहुत ही सुलझी हुयी सख्सियत है भाई, एक दम कुल और जिसके साथ उसी को अपनाने की गजब की खासियत, बाइक का तो सब कुछ पता था ही भाई को, साथ में व्यवहार भी कुशल मधुरभाषी, मुझे भाई की सबसे अच्छी बात ये लगी की भाई जो था जैसा था सामने था कुछ भी छुपा नहीं ।। ये है धीरेंद्र भाई -2. सनी भाई
किसी फ़िल्मी हीरो जैसी पर्सनल्टी, खुद को मेंटेन रखते है गजब के खिलाडी है ये मत पूछना की खेल में☺, और काम तो आपने देख ही लिया है जो इस तरह के रास्तो में ले जाने की सोच रखता है वही हमारे लिए तो असली हीरो है, गजब का साहस थोड़ी सी बेवकूफी के साथ, एक आदर्श इंसान जिसके अन्दर हर खूबी है, मैं शरीर और हिम्मत से इनके जैसा बनना चाहता हू।3. योगी भाई
हिमाचल के रहने वाले मेरे पुराने दोस्त है घूमना पसंद है लेकिन सिर्फ मेरे साथ ही बाइक पे घूमते है बाकी जगह सिर्फ गाड़ी से ही जाते है शायद विश्वास है उनको मुझपे और मुझे उनपे हमेशा साथ देते है मुश्किल समय पे घबराते नहीं है जल्दी से, वैसे ज्यादा यात्रा नहीं की इनके साथ पर आदमी की पहचान एक बार में ही हो जाती हैयात्रा की तैयारी
ये एक बहुत मुश्किल बाइक ट्रिप है तो हमने तैयारी पूरी की है और शायद इसी वजह से हमारे अंदर ये यात्रा सहकुसल पूरी करने का विश्वास है जैसा की गुरु जाट देवता कहते है की यात्रा पूरी करना उसकी तैयारी पर ही निर्भर करता है और ये बात बिलकुल सत्य है हमने इस यात्रा के लिए जो जो सामान साथ लिया उसकी एक लिस्ट बनायीं है उमीद करते है कोई भाई जायेगा तो उसके ये लिस्ट काम जरूर आएगी वैसे हमारे साथ ये यात्रा करके आपको समझ आ ही जायेगा की इतने सामान की जरूरत क्यों पड़ती हैछोटे बैग पैक और 1 ड्रेस, अब बैग में सबसे पहले खाने के लिए सामान रखा जैसे काजू बादाम और लंबे समय तक एनर्जी देने वाला फ़ूड आइटम, छोटा पर ताकतवर ये शब्द हर सामान के लिए जरुरी है जैसे छोटा पर मजबूत हथोडा, छोटी पर मजबूत रस्सी, छोटी पर बढ़िया टोर्च, मेडिकल किट, बीएसएनएल की पोस्टपेड सिम डाला हुआ बड़ी बैटरी वाला छोटा मोबाइल, बहुत बढ़िया क्वालिटी के दस्ताने जो वाटरप्रूफ और विंडप्रूफ़ हो, बढ़िया फुल हेलमेंट जिसका मुँह भी खुलता हो, एंटी स्किड वाटरप्रूफ जूते, इनर, जैकेट और बाइकर कार्गो, मास्क, पोंचू, नगद 20 हजार रुपये, id बाइक के पेपर और लाइसेंस, 2 बैट्री बैंक,मोबाइल, अल्टीमीटर घडी इत्यदि
अब हमारा प्रोग्राम फाइनल हो गया सनी और धीरेंद्र मेरठ से बाइक पे डलहौज़ी आएंगे और मैं बस से सीधा उनको वही मिलूंगा। मैं तो डलहौज़ी सुबह 6 बझे पहुँच गया और आपने काम करके 11 बझे फ्री हो गया लेकिन सनी भाई 2 घण्टे लेट हो गए सुबह 3 की जगह 5 बजे निकले घर से तो उनको 12 बजे मिलने की जगह 3 बज गए डलहौज़ी आते आते और मेरी हालात खराब हो गयी इंतज़ार करते करते । वैसे उनकी हालत भी ख़राब हो गयी जब लगातार 500 किमी की यात्रा करके मेरे पास पहुंचे, मेरठ से डलहौजी काफी थकान वाला सफर है ये, खेर मैने तो किया नहीं तो ज्यादा ना बता पायूँगा, फिर हमने चाय पी और साथ में बिस्किट मेरे फ़ेवरेट कैफ़े पे, और साथ में मुलाकात की अरे मतलब परिचय, हम सब के परिचय हो जाने के बाद हम निकले पहले दिन के ठिकाने की और वैसे मैंने भी सनी और धीरेंद्र के साथ अच्छा नहीं किया उनको खाना खिलाये बिना ही आगे बढ़ने पे मजबूर किया जबकी सुबह से उन्होंने कुछ खाया भी नहीं था पर क्या करते बैरागढ़ बहुत दूर था और रास्ता भी सही नहीं था तो रात में ज्यादा चलाने से समस्या होनी थी 4 बज गए थे और मेरा एक उसूल है रात में 9 बजे के बाद किसी भी हालत में बाइक नहीं चलानी है तो समय के हिसाब से स्पीड खेंच ली ।
यही पहला पर्चा मिला सनी भाई का, मैंने तो यहाँ से बाइक चालू की थी और सनी भाई सुबह से ही चला रहे थे तो स्पीड उनके अंदर घुस चुकी थी बाइक पे बैठते ही वो तेज़ी से आगे निकल गए । लो भाई हो गया काम सनी भाई रास्ता जानते नहीं थे और मुझे लग रहा था कि ये जरूर गलत रास्ते पे ही जाएंगे और मेरी स्पीड इतनी तेज़ नहीं होती की मैं उनको पीछे जा के पकड़ सकू, पहला कट बनीखेत से 10 किमी बाद आता है एक रास्ता चम्बा की और और दूसरा रास्ता डैम की और जाता है और वो इसी कट से वो सीधा निकाल गए जबकि हमे नीचे चमेरा डैम की और जाना होता है मैंने देख लिया हॉर्न भी बजाया पर कहा सुनते वो चलो भाई निकालो फ़ोन अभी तो नेटवर्क है तो फ़ोन से काम चल जायेगा पर आगे ये गलती न हो इस लिए समझाना पड़ेगा नहीं तो समस्या आ जायेगी , भाई काफी आगे जाके रुके और फ़ोन देखते ही समझ गए की कोका हो गया है वापस जाना पड़ेगा । जब तक वो मोड़ पे वापस आये में दूसरे रस्ते पे आगे बढ़ गया , उनकी स्पीड काफी थी तो मुझे उनका इंतजार करने की जरूरत नहीं थी उन्होंने मुझे पकड़ ही लेना है यही सोच के में 5-6 किमी निकल गया अब मैं डैम पर पहुँच गया था और यहाँ भी 2 रास्ते है एक डेम के ऊपर से और एक सीधा जो 7 किमी का चक्कर है तो यही मैंने उनका इंतजार करने का सोचा साथ में आप के लिए 2-4 डैम के फोटो भी ले लिये
अब सनी भाई पीछे और धीरेंद्र उनसे थोड़े आगे चलने लगे रहे थे, और सबसे आगे मैं, मैंने उनको बोल भी दिया की इसी तरह से ही चलेंगे हम लोग, डैम पर CRPF वालो ने बताया कि डैम पे रस्ते में रुकना मना है सीधा एक बार में क्रॉस करना है और फोटो तो बिलकुल मना है तो सीधा तेज़ी से निकल लिए । यहाँ से निकलने के बाद डेम के साथ साथ चलना है फिर नदी के साथ साथ तक़रीबन 15 -20 किमी के बाद एक पुल से दाहिने और मुड़ना होता है फिर आगे चम्बा का तिराहा आता है जहा से बायीं और चलना होता है हर जगह मैं आगे जाके खड़ा हो जाता जिससे दुबारा रास्ता भटकने की नौबत ना आ जाये और इस मौसम में यहाँ गाड़िया बहुत काम चलती है तो सबको साथ लेके ही चलना है किसी को भी कोई समस्या हो तो तुरंत सहायता मिल जाये, रास्ते में अंतिम पेट्रोल पम्प है बैरागढ़ से 20 किमी पहले और यहाँ कार्ड नहीं चलता पर टंकी यही से फूल करवानी पड़ेगी आगे कुछ नहीं मिलता है , टंकी फूल करवा के तेज़ गति से हम लोग लगभग 8 बजे बैरागढ़ पहुँच गए , अब यहाँ की सबसे बड़ी समस्या रुकने का ठिकना ढूढ़ने की थी थोड़ी क़ोशिस के बाद हमे एक सस्ता और बढ़िया होम स्टे मिल गया, सामान रख के उससे थोड़ी सी दुर इकलोते ढाबे पे पहुँच गए, इस समय यहाँ कोई नहीं आता है तो ढाबे नहीं चलते है पर इसने बढ़िया लोकल दाल खिलाई साथ में हमारे पास परांठे और दही था वो खाया और भर पेट खा के कमरे पे पहुँच गए , हमने 2 कमरे लिए है 200 रुपये में, नोटबंदी है भाई पैसे की बहुत किलत है तो मैंने और योगी ने आपना सामान रख के सनी भाई के पास कमरे पे धावा बोल दिया, सुबह जल्दी निकलने का पन्गा तो है न हीं तो आराम से मेल मिलाप करते है , यही हमारी काफी देर गप सप चली साथ में ताश की गेम भी , सनी भाई ताश के मेरठ लेवल के खिलाडी है तो हमे कई बार हराया पर फिर भी मज़ा बहुत आया, काफी देर खेलने के बाद हम आपने ठिकाने सोने निकल लिए और वो वही सो गए । कल से हमारी सबसे मुश्किल बाइक यात्रा है अगले भाग में कल का पूरा लेखा जोखा दूंगा -
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India's Deadliest ice road killar kishatwar bike trip in december
1. sach pass ice road दिल्ली से बैरागढ़
2. sach pass ice road बैरागढ़ से किल्लार - भयंकर
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