Sunday, 28 May 2017

NIM Nehru Institute of Mountaineering A Journey by rakesh bishnoi

नेहरू पर्वतारोहण  सस्थान

Delhi to NIM
                                                                                लगभग 2 साल की कोशिश के बाद मुझे 1 मौका मिला मॉन्ट्रेनिंग का ओर वो भी NIM यानी नेहरू मॉन्ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की ओर से , मेरे एक खास दोस्त (चौधरी जी ) की मेहनत रंग लाई ओर मुझे ये मौका मिला । बहुत सुना था NIM के बारे में की ये हिन्दुस्थान की सबसे बढ़िया मॉन्ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट है यहाँ आने के लिए लोग 2-3 साल इंतज़ार करते है यहाँ के इन्सटेक्टर सबसे बढ़िया होते है और बहुत ज्यादा सख्त सिस्टम है यहां का ....चलो हम भी देखते है जोर कितना बाजुएं कातिल में है
                                 
                                 NIM की ओर से लैटर आते ही मैन 7600 रु की फीस ऑनलाइन भर दी । उसके बाद उन्होंने सीट नंबर  मुझे मेल कर दी तो भरोसा हो गया कि अबकी बार Nim जाना पका है उस मेल में एक लिस्ट भी थी जो सामान साथ लेके जाना था | कुछ सामान तो मेंरे पास था कुछ इस बार डीकेथेलोन (केचुआ) से ले लिया

                           लिस्ट में सबसे पहले वुलेन कैप था जो कि मेरे पास था पर एक हैट मुझे लेना पड़ा साथ मे एक लोअर , 2 शॉर्ट्स, 1 हेड लाइट, जुराबें, ट्रैक शूट मैन ले लिया कैमरा मेरे पास था ही साथ मे मोबाइल भी बढ़िया था जूते मैन कुछ समय पहले ही wildcraft के लिए थे उसको आजमाने का समय अभी आगया, एक वुडलैंड के सैंडल रख लिए ओर बाकी सब मैंने व्यवस्था करके बैगपैक कर लिया, अब सबसे जरूरी NIM जाने का रूट पता करना था............ 
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sach pass ice road दिल्ली से बैरागढ़

sach pass bike trip planing -


                                          इस बार ये कीड़ा सनी भाई को कटा और दुनिया की सबसे मुश्किल रोड के सफर का प्रस्ताव लेके आये,  मैंने इसी साल जून में साच पास किया था तब सोचा था दुबारा जरूर आयूँगा और पूरी रोड क्रॉस करूँगा अब मौका आया तो मैं 1 मिनट देरी किये बिना तैयार हो गया लेकिन शायद सनी भाई तैयार नहीं थे कुछ कहानी हो गयी और प्रोग्राम फिर लटक गया.  कुछ दिन बाद सनी भाई ने एक और कोशिश की लेकिन वो भी कामयाब नहीं हुयी तो मुझे लगा शायद सनी भाई ज्यादा सिरियस है नहीं बस प्लान बना के ही रखना चाहते है पर सनी भाई को कीड़ा बहुत जोर से कटा हुआ था और वो बैठने वालो में से है नहीं, काफी मेहनत के बाद जाना तय हुआ 30 नवंबर को 2 दिसम्बर को सच पास पहूंचना था।  मेरा कुछ काम भी था ड़लहौजी में तो मुझे उमीद जागी की ये ट्रिप तो पूरी हो ही जायेगा साथ में काम भी, पर इस बार मैं प्रोग्राम कैंसिल करने के मूड में न था इसीलिए सनी भाई को अच्छी तरह से फ़ोन पे ही समझ दिया धमका भी दिया की कहानी नहीं होनी चाहिए भाई, अब जबान दी है तो चलना ही पड़ेगा और एक बार कोई जबान देके जाये नहीं तो उसकी बात पे मैं दुबारा विश्वास नही करता। भाई ने तुरंत ही बात को समझ कर यात्रा ग्रुप में पोस्ट कर दिया और बाकि जगह भी राय मांगने को, और कोई साथी तैयार हो चलने को तो उसको भी घुमा लाये,

                                          यही एक नए साथी मिले धीरेंद्र। यही दोनों लोगो और योगी भाई इस यात्रा को कामयाब करने वाले लोग है जिनकी वजह से इतनी मुश्किल यात्रा सहकुशल ओर यादगार तरीके से पूरी की । इसी दौरान लोगो ने डराने की पूरी कोसिस भी की, एक भाई में तो सनी को फेसबुक पे कमाल का लिख दिया " if you are not only sun then you should go" खेर यहाँ से वापस जाके तो उसकी बात सही लगी पर उस टाइम हमने इसे एक चैंलेंज की तरह लिया था और इस यात्रा को पूरा करके दिखाना ही था ।


                                                  अब हमारा प्रोग्राम फाइनल हो गया सनी और धीरेंद्र मेरठ से बाइक पे डलहौज़ी आएंगे और मैं बस से सीधा उनको वही मिलूंगा। मैंने 30 नवम्बर रात को दिल्ली से डलहौजी की बस बुकिंग करवा ली और बाइक डलहौजी से मेरे दोस्त से ही किराये ले ली और सनी भाई ने बाइक की व्यवस्था आपने नोएडा के एक दोस्त से कर ली धीरेन्द्र भाई के पास तो खुद की बाइक है, सनी भाई ने बाइक लेने और कुछ नगद की व्यवस्था करने गुड़गांव आना था तो सोचा मुलाकात भी कर लेंगे क्योंकि अब तक हममे से कोई भी एक दूसरे से ना मिले थे सोचा कुछ जान पहचान हो जाएगी साथ में बाइक के लिए बैग भी दे दूँगा जोकि उनको सामान रखने के लिए चहिये थे, पर ये दिल्ली है मेरे दोस्त यहाँ मुलाकात समय से नहीं यातायात की व्यवस्था पे निर्भर करती है, हुआ यु की सनी भाई सुबह निकले मेरठ से नोएडा से बाइक ली और फिर गुड़गांव आये इतने में ही उनको शाम हो गयी और मेरी बस का समय भी हो गया तो मुलाकात ना हो सकी। मैंने यहाँ वाहा से कुछ नगद का जुगाड़ कर लिया और बस के लिए निकल पड़ा ।
      

          परिचय -

                                     हम सब अगले दिन मिले थे डलहौजी में पर आप लोगो को यात्रा के पहले दिन ही मैं सबका परिचय करवा देता हू वैसे तीनो भाई अद्धभुत खासियतों वाले थे पर जो जो में देख पाया जितना देख पाया उसके हिसाब से यहाँ वर्णन कर रहा हू  - 


          1. धीरेंद्र भाई

                                   वाह लाजवाब सख्सियत जैसा नाम वैसा भाई पूरी चलती फिरती दुकान है रॉयल एनफील्ड की सारे मुख्य पार्ट साथ ही रखते है यहाँ तजुर्बा बोलता है , बहुत ही सुलझी हुयी सख्सियत है भाई, एक दम कुल और जिसके साथ उसी को अपनाने की गजब की खासियत, बाइक का तो सब कुछ पता था ही भाई को, साथ में व्यवहार भी कुशल मधुरभाषी, मुझे भाई की सबसे अच्छी बात ये लगी की भाई जो था जैसा था सामने था कुछ भी छुपा नहीं ।।  ये है धीरेंद्र भाई -

           2. सनी भाई

                                  किसी फ़िल्मी हीरो जैसी पर्सनल्टी, खुद को मेंटेन रखते है गजब के खिलाडी है ये मत पूछना की खेल में☺, और काम तो आपने देख ही लिया है जो इस तरह के रास्तो में ले जाने की सोच रखता है वही हमारे लिए तो असली हीरो है, गजब का साहस थोड़ी सी बेवकूफी के साथ, एक आदर्श इंसान जिसके अन्दर हर खूबी है, मैं शरीर और हिम्मत से इनके जैसा बनना चाहता हू।

        3. योगी भाई

                                 हिमाचल के रहने वाले मेरे पुराने दोस्त है घूमना पसंद है लेकिन सिर्फ मेरे साथ ही बाइक पे घूमते है बाकी जगह सिर्फ गाड़ी से ही जाते है शायद विश्वास है उनको मुझपे और मुझे उनपे हमेशा साथ देते है मुश्किल समय पे घबराते नहीं है जल्दी से, वैसे ज्यादा यात्रा नहीं की इनके साथ पर आदमी की पहचान एक बार में ही हो जाती है


यात्रा की तैयारी

                         ये एक बहुत मुश्किल बाइक ट्रिप है तो हमने तैयारी पूरी की है और शायद इसी वजह से हमारे अंदर ये यात्रा सहकुसल पूरी करने का विश्वास है जैसा की गुरु जाट देवता कहते है की यात्रा पूरी करना उसकी तैयारी पर ही निर्भर करता है और ये बात बिलकुल सत्य है हमने इस यात्रा के लिए जो जो सामान साथ लिया उसकी एक लिस्ट बनायीं है  उमीद करते है कोई भाई जायेगा तो उसके ये लिस्ट काम जरूर आएगी वैसे हमारे साथ ये यात्रा करके आपको समझ आ ही जायेगा की इतने सामान की जरूरत क्यों पड़ती है

                           छोटे बैग पैक और 1 ड्रेस, अब बैग में सबसे पहले खाने के लिए सामान रखा जैसे काजू बादाम और लंबे समय तक एनर्जी देने वाला फ़ूड आइटम, छोटा पर ताकतवर ये शब्द हर सामान के लिए जरुरी है जैसे छोटा पर मजबूत हथोडा, छोटी पर मजबूत रस्सी, छोटी पर बढ़िया टोर्च, मेडिकल किट, बीएसएनएल की पोस्टपेड सिम डाला हुआ बड़ी बैटरी वाला छोटा मोबाइल, बहुत बढ़िया क्वालिटी के दस्ताने जो वाटरप्रूफ और विंडप्रूफ़ हो, बढ़िया फुल हेलमेंट जिसका मुँह भी खुलता हो, एंटी स्किड वाटरप्रूफ जूते, इनर, जैकेट और बाइकर कार्गो, मास्क, पोंचू, नगद 20 हजार रुपये, id बाइक के पेपर और लाइसेंस, 2 बैट्री बैंक,मोबाइल, अल्टीमीटर घडी इत्यदि


                                            अब हमारा प्रोग्राम फाइनल हो गया सनी और धीरेंद्र मेरठ से बाइक पे डलहौज़ी आएंगे और मैं बस से सीधा उनको वही मिलूंगा। मैं तो डलहौज़ी सुबह 6 बझे पहुँच गया और आपने काम करके 11 बझे फ्री हो गया लेकिन सनी भाई 2 घण्टे लेट हो गए सुबह 3 की जगह 5 बजे निकले घर से तो उनको 12 बजे मिलने की जगह 3 बज गए डलहौज़ी आते आते और मेरी हालात खराब हो गयी इंतज़ार करते करते । वैसे उनकी हालत भी ख़राब हो गयी जब लगातार 500 किमी की यात्रा करके मेरे पास पहुंचे, मेरठ से डलहौजी काफी थकान वाला सफर है ये, खेर मैने तो किया नहीं तो ज्यादा ना बता पायूँगा, फिर हमने चाय पी और साथ में बिस्किट मेरे फ़ेवरेट कैफ़े पे, और साथ में मुलाकात की अरे मतलब परिचय, हम सब के परिचय हो जाने के बाद हम निकले पहले दिन के ठिकाने की और वैसे मैंने भी सनी और धीरेंद्र के साथ अच्छा नहीं किया उनको खाना खिलाये बिना ही आगे बढ़ने पे मजबूर किया जबकी सुबह से उन्होंने कुछ खाया भी नहीं था पर क्या करते बैरागढ़ बहुत दूर था और रास्ता भी सही नहीं था तो रात में ज्यादा चलाने से समस्या होनी थी 4 बज गए थे और मेरा एक उसूल है रात में 9 बजे के बाद किसी भी हालत में बाइक नहीं चलानी है तो समय के हिसाब से स्पीड खेंच ली ।
                                               यही पहला पर्चा मिला सनी भाई का, मैंने तो यहाँ से बाइक चालू की थी और सनी भाई सुबह से ही चला रहे थे तो स्पीड उनके अंदर घुस चुकी थी बाइक पे बैठते ही वो तेज़ी से आगे निकल गए । लो भाई हो गया काम सनी भाई रास्ता जानते नहीं थे और मुझे लग रहा था कि ये जरूर गलत रास्ते पे ही जाएंगे और मेरी स्पीड इतनी तेज़ नहीं होती की मैं उनको पीछे जा के पकड़ सकू, पहला कट बनीखेत से 10 किमी बाद आता है एक रास्ता चम्बा की और और दूसरा रास्ता डैम की और जाता है और वो इसी कट से वो सीधा निकाल गए जबकि हमे नीचे चमेरा डैम की और जाना होता है मैंने देख लिया हॉर्न भी बजाया पर कहा सुनते वो चलो भाई निकालो फ़ोन अभी तो नेटवर्क है तो फ़ोन से काम चल जायेगा पर आगे ये गलती न हो इस लिए समझाना पड़ेगा नहीं तो समस्या आ जायेगी , भाई काफी आगे जाके रुके और फ़ोन देखते ही समझ गए की कोका हो गया है वापस जाना पड़ेगा । जब तक वो मोड़ पे वापस आये में दूसरे रस्ते पे आगे बढ़ गया , उनकी स्पीड काफी थी तो मुझे उनका इंतजार करने की जरूरत नहीं थी उन्होंने मुझे पकड़ ही लेना है यही सोच के में 5-6 किमी निकल गया अब मैं डैम पर पहुँच गया था और यहाँ भी 2 रास्ते है एक डेम के ऊपर से और एक सीधा जो 7 किमी का चक्कर है तो यही मैंने उनका इंतजार करने का सोचा साथ में आप के लिए 2-4 डैम के फोटो भी ले लिये

                अब सनी भाई पीछे और धीरेंद्र उनसे थोड़े आगे चलने लगे रहे थे, और सबसे आगे मैं, मैंने उनको बोल भी दिया की इसी तरह से ही चलेंगे हम लोग, डैम पर CRPF वालो ने बताया कि डैम पे रस्ते में रुकना मना है सीधा एक बार में क्रॉस करना है और फोटो तो बिलकुल मना है तो सीधा तेज़ी से निकल लिए । यहाँ से निकलने के बाद डेम के साथ साथ चलना है फिर नदी के साथ साथ तक़रीबन 15 -20 किमी के बाद एक पुल से दाहिने और मुड़ना होता है फिर आगे चम्बा का तिराहा आता है जहा से बायीं और चलना होता है हर जगह मैं आगे जाके खड़ा हो जाता जिससे दुबारा रास्ता भटकने की नौबत ना आ जाये और इस मौसम में यहाँ गाड़िया बहुत काम चलती है तो सबको साथ लेके ही चलना है किसी को भी कोई समस्या हो तो तुरंत सहायता मिल जाये, रास्ते में अंतिम पेट्रोल पम्प है बैरागढ़ से 20 किमी पहले और यहाँ कार्ड नहीं चलता पर टंकी यही से फूल करवानी पड़ेगी आगे कुछ नहीं मिलता है , टंकी फूल करवा के तेज़ गति से हम लोग लगभग 8 बजे बैरागढ़ पहुँच गए , अब यहाँ की सबसे बड़ी समस्या रुकने का ठिकना ढूढ़ने की थी थोड़ी क़ोशिस के बाद हमे एक सस्ता और बढ़िया होम स्टे मिल गया, सामान रख के उससे थोड़ी सी दुर इकलोते ढाबे पे पहुँच गए, इस समय यहाँ कोई नहीं आता है तो ढाबे नहीं चलते है पर इसने बढ़िया लोकल दाल खिलाई साथ में हमारे पास परांठे और दही था वो खाया और भर पेट खा के कमरे पे पहुँच गए , हमने 2 कमरे लिए है  200 रुपये में, नोटबंदी है भाई पैसे की बहुत किलत है तो मैंने और योगी ने आपना सामान रख के सनी भाई के पास कमरे पे धावा बोल दिया, सुबह जल्दी निकलने का पन्गा तो है न हीं तो आराम से मेल मिलाप करते है , यही हमारी काफी देर गप सप चली साथ में ताश की गेम भी , सनी भाई ताश के मेरठ लेवल के खिलाडी है तो हमे कई बार हराया पर फिर भी मज़ा बहुत आया, काफी देर खेलने के बाद हम आपने ठिकाने सोने निकल लिए और वो वही सो गए ।  कल से हमारी सबसे मुश्किल बाइक यात्रा है अगले भाग में कल का पूरा लेखा जोखा दूंगा -
पूरा यात्रा वर्तान्त पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
India's Deadliest ice road killar kishatwar bike trip in december
1. sach pass ice road दिल्ली से बैरागढ़
2. sach pass ice road बैरागढ़ से किल्लार - भयंकर

Saturday, 27 May 2017

NIM में ट्रेनिंग का श्री गणेश DAY -1

NIM में ट्रेनिंग का श्री गणेश -
हॉस्टल का पैनोरोमीक व्यू

Date 24 -4-2017
                                              मेरी हमेशा से ही जल्दी उठने की आदत है तो सुबह 4:45 उठ गया था फिर सबसे पहले फ्रेश हो गया और लगभग 5:20 तक तैयार हो गया अभी 6 बजे हमे रिपोर्ट करना है, तो समय था बाहर निकल के इधर उधर टहलने को, तो पास के रूम में ही झाकने चला गया अरे...  ये क्या वो तो सभी सो रहे थे उनको उठाया 5:30 हो गए है जल्दी तैयार हो जायो चलना है तभी मुझे ध्यान आया कि हमारे रूम वाले साथी भी शायद हो रहे है  आके देखा 2 भाई अभी भी सो रहे थे उनको उठाया ओर सब तैयार होकर NIM में बने हमारे हॉस्टल के गेट के बहार रोड पर पहुँच गए , इस जगह ही हमारा पुरे कोर्स फॉल इन हुआ ।
          
                                       सही 6 बजे सबकी गिनती हुई अभी तक हम 39 लड़के ही पहुंचे थे कुछ आज आने वाले है ओर 22 एडवांस कोर्स वाले साथी पहुंचे हुए है उनके भी कुछ आज शाम तक पहुँचेंगे, गिनती के बाद हमे 8 इन्सटेक्टर मॉर्निंग वॉक के लिए लेके निकल गए .... हमे बताया गया कि 2 किमी का एक राउंड है बस काट के आना है तो ठीक है ना इतने में कहा समस्या था । चल दिये ...... अभी 200 मीटर ही गए होंगे कि उन्होंने दौड़ने को बोल दिया कोई बात नही दौड़ भी लेंगे ...100 मीटर चलने पे पिटी का आदेश आगया अब दौड़ते हुए पिटी करने का ये मेरा पहला अनुभव था तो थोड़ी ही देर में हालात खराब, तभी नया आदेश आगया मेढक चाल का 20-25 कदम बड़ी मुश्किल से चले होंगे कि नया आदेश दंड निकलने का वो भी 30 सेकेंड होल्ड के साथ 10 दंड मे ही सब जगह से पसीना निकलने लग गया तो समझ आगया की यहाँ तो बहुत मुश्किल होने वाली है अभी फिर दौड़ाने का आदेश फिर मेढक चाल किया फिर एक जगह एक बिल्डिंग का छजा बाहर निकल हुया था तो उसको देख के इसटेक्टर ने उसपे लटक के पुशअप का आदेश दे दिया फिर पुशअप के साथ होल्ड का आदेश दिया तो हालात फिर खराब ..... अब वहा से फिर दौड़ने का आदेश आगया सांस आ नहीँ रहा था भयंकर वाली प्यास लगी थी लेकिन क्या कर सकते थे जैसे तैसे समय निकाल ओर वापसी की NIM की ओर । समय सुबह 7:30 पिटी से वापसी हुई सीधी निम के आर्टिफिशियल वाल क्लाइमिंग एरिया में वहाँ फिर से मुश्किल व्ययाम 30 मिनट तक किया फिर व्ययाम करने के बाद ऐसा लग रहा था मानो शरीर मे जान ही नही है , सब जगह से पसीना ही पसीना ........ पता नहीं शरीर ही ख़राब है या व्यायम ज्यादा करवा दिया जो भी हो सच बोलू तो नानी याद आगयी ।
पीटी करते हुए-


      व्ययाम के बाद हमे रोप में बांटा गया, ये रोप यहाँ पे साथ रहने वाली टीम को बोलते है 1 रोप पे 5-7 लोग हो सकते है हर रोप में एक रोप लीडर होता है और और बेसिक कोर्स का एक कैम्प लीडर , मेरी रोप का रोप लीडर तो मुझे बनाया गया और कैम्प लीडर आर्मी से आये कैप्टन सत्या को बनाया गया मेरा रोप नंबर 07 और कमरा नंबर 12 दिया गया, मेरी रोप में टोटल 5 साथी आये है, सबसे पहला नंबर मेरा फिर राम सिंह ऋषिकेश से है जो राफ्टिंग का काम करते है दुसरे साथी प्रमोद है जो सांकरी गांव से है हम अभी कुछ समय पहले ही सांकरी जाके आये है केदारकंठा समिट के लिए जाट भाई संदीप पंवार ओर मनु प्रकाश त्यागी के साथ (केदारकंठा यात्रा का विवरण यहाँ पढे), वही हमे प्रमोद का भाई प्रशांत मिला था जो की वहाँ स्की सिखाता है हम उसी के पास रुके थे तीसरा भाई कुंगा दोरजी लेह से है ये भाई थोड़ा थोड़ा शेरपा जैसा ही है छोटी हाइट का है पर कई बार स्टॉक कांगड़ी जा चुका है जिसकी ऊंचाई 6153 मीटर है और चौथा भाई अमित है जो कि उत्तरकाशी का लोकल ही है इनके व्यवहार और काबिलियत की जानकारी आगे देता रहूँगा, इन सबके बाद हमने कमरे में दुबारा समान सेट किया, क्युकी अब साथी बदल गये थे और हमे अभी नए साथियो के साथ ही रहना है फिर थोड़ी देर रेस्ट करके नास्ता करने चले गए ।
       नास्ते में 6 ब्रेड जेम एंड बटर लगाई हुई साथ मे एक्स्ट्रा बटर भी मिला, थोड़ा दलिया, चाय ओर फ्रूट
मिला जिसको खाके काफी अच्छा महसूस हो रहा था , लगा शरीर में वापस जान आगयी । नास्ता करने के बाद हम हमारे कमरे में आगये ओर में नहा लिया । यहाँ नहाने के लिए स्नानघर में 2 नल लगे है एक में गरम पानी जो की सोलर गीज़र से आता है और दूसरे में ठंडा पानी आता है हर कमरे में अंदर ही स्नानघर और शौचालय बना हुआ है नहा के तैयार हो गया फिर अगला कार्यक्रम था-

NIM स्टाफ़ परिचय ओर NIM का भर्मण -
                                                                      यहाँ के स्टाफ़ में सबसे बड़ा नाम है कर्नल अजय कोठियाल यहाँ के प्रिंसिपल (विशिष्ट सेवा मेडल, कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र)जो 2 बार एवरेस्ट चढ़ चुके है तीसरी बार भी अपनी पूरी टीम को एवेरेस्ट चढ़ाया है इनके बारे जितना बताया जाये काम ही है उत्तराखंड में कर्नल अजय कोठियाल एक बहुत बड़ा नाम है तो आप समझ सकते हो क्या हस्ती होंगे , जब मुझे उनके बारे में जानकारी मिली थी तो मैं तो उनका फैन हो गया । बाकी सारे स्टाफ के बारे में में आपको धीरे धीरे आगे के लेखों में बतायूंगा, वैसे यह के स्टाफ में से भी 10-12  लोग एवेरेस्ट चढ़ चुके है इस इंस्टिट्यूट के नीव रखने वाले में एक नाम तेनजिंग शेरपा (एडमिन हिलेरी के साथी उनके साथ ही इन्होंने पहली बार एवेरेस्ट चढ़ी है ओर पहले एवरेस्ट चढ़ने वाले हिंदुस्थानी) का भी है, ये इंस्टिट्यूट भारत के सबसे बढ़िया माउंटेन इंस्टीट्यूट में से एक है और भी बहुत कुछ है जो NIM के नाम के साथ जुड़ा हुआ है , परिचय के बाद हमने निम का भर्मण किया, यह एक चौखम्बा नाम का होल है जिमसें मूवी, क्लास ओर कॉन्फ्रेंस होती है फिर उसके पास ही एक होस्टल है जिसमे तकरीबन 200 लोगो के रहने की व्यवस्था है उसके आगे एक बढ़िया तैयार पार्क है उसके आगे कुछ दूरी पे 2 आर्टिफिशियल रॉक कलाइम्बिंग वाल है एक हाल है जिसमे भी रॉक क्लाइम्बिंग की व्यवस्था है एक लाइब्रेरी है एक स्नोवियर शॉप है एक कैफ़े ओर संग्रालय भी है जिसका दुबारा निर्माण चल रहा है फिर एक बड़ा मॉन्ट्रेनिंग इकुपमेंट शॉप भी है जहाँ से किराये पे सामान मिलता है , और भी बहुत कुछ है यहाँ पे पर बस हमारा  इतना ही था हमारा भर्मण, फिर हमारी एक क्लास लगी जिसमे हमे सारे इकुपमेंट की जानकारी दी गयी कैसे ओर क्या क्या काम आते है कहा काम मे लेने है हमने, मैंने इस कॉल में एक गलती की पीछे बैठने की तो मुझे कुछ ज्यादा समझ नहीं आया थोड़े थोडे इकुप्मेंट दूर से ही देखे नाम भी कम ही समझ आये तो इस क्लास की ज्यादा जानकारी ना दे पायूँगा , स्कूल में पहला दिन है बच्चे से गलती हो रही है माफ़ कर देना ।
   
                                        अभी समय 1 बजे का हो गया तो खाने की घंटी बज गयी खाने में चावल दाल, आलू गोभी की सब्जी, सलाद, पनीर पालक की सब्जी ओर रोटी मिली भर पेट खा लिया और वापस कमरे पे आके सो गए । 2:30 वापसी रिपोर्ट करना था फॉल इन पे जहा से हमे मेडिकल करवाना था और साथ मे हमे हमारा सामान मिलना था मतलब इकुप्मेंट जो क्लास में बताये गए थे जब क्लास में पीछे बैठेंगे तो इकुप्मेंट को सामान ही बोलूंगा , सबसे पहले मेडिकल हुआ वजन 82.4 किलो, हाइट 181 CM बाकि सब ठीक है ये तो आराम से हो गया पर समान के लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ी, वो सबके इकुप्मेंट एक साथ ही निकल के दे रहे थे और चेक बहार जाके करना था तो जैसे तैसे लिया और बाहर आगये , यहाँ मनीष सर ने हमे दुबारा सबको अच्छी तरह चेक करने का बोला , साइज़ भी अच्छी  तरह चेक करना है क्युकी ये इस पुरे कोर्स हमारे सबसे भरोसेमंद साथी होंगे |  फिर साइज ही बड़ी समस्या थी चलो जैसे तैसे सामान मिला उसको लेके रूम पे आगये ओर चेक किया की सब सही तो है ना यही समान हमे रोज लेके जाना होगा इसी से हमारी पूरी ट्रेनिंग होगी, सामान की लिस्ट नीचे है
1. रकसैक बैग
2. स्लीपिंग बैग
3. इनर स्लीपिंग बैग का
4. स्नोशूज स्नो के लिए
5. शूज रॉक क्लीमम्बिंग के लिए (pa शूज)
6. विंडशीटर एंड लोअर (इसमें मेरे साथ धोखा हुआ )
7. स्क्रू केरावेनर & प्लेन केरावेनर
8. शीट हार्नेस
9. लोंग सीलिंग
10. क्रेम्पोंन
11. गेटर्स
12. टिफन चमच मग (मिस्टीन)
13. गार्बेज बैग
14. जैकेट बड़े साइज़ का
15. 40 मीटर की रोप
16. 2 पेअर बिटन
17. 1 रैपलिंग जैकेट
18.  वाटर बोटल
बस इतना ही सामान दिया टोटल वजन 20-25 किलो , मेरे सारे साथी माउंटेन लाइन से थे तो उन्होंने सब इकुप्मेंट की जानकारी मुझे रूम में दे दी, मुझे ये सबकुछ काफी इंटरस्टिंग लगा। 

                                  फिर शाम को यहाँ खेलने के लिए भी समय दिया जाता है जो बाद में हमे समझ आया की कितना जरुरी है आज हमने 1 घंटा वॉलीबाल खेला, वैसे मुझे वॉलीवाल खेलना आता नहीं है बस थोड़ा बहुत हाथ मार लिए , फिर रात का खाना 8 बजे मिला घंटी बजी और खाने चले गये खाने में दाल चावल, 2 सब्जी और रोटी थी साथ मे खीर भी थी, बस खा के आ के सो गये । इतना ही था आज का दिन कल से सुबह हमारा हिल वाक है थोड़ी सी चढ़ाई बताई गयी है तो उसके बारे में सोच के सो गए कल की जानकारी अगले लेख में


NIM का मेरा पूरा तजुर्बा आप क्रम के हिसाब से नीचे दिए लिंक से पढ़ सकते है -
1.NIM -Nehru Institute Of​​ Mountaineering.......बेसिक कोर्स मेरे साथ
2.NIM में ट्रेनिंग का श्री गणेश DAY -1

3. NIM Basic Mountaineering Course Day-2


आज का नास्ता -


हाल में मै और पीछे मेरी रोप के दूसरे साथी     

हमारा रकसैक बैग


सारे इकुप्मेंट-






Friday, 26 May 2017

NIM -Nehru Institute Of​​ Mountaineering.......मेरे साथ बेसिक कोर्स

   

Delhi to NIM

                                                                  लगभग 2 साल की कोशिश के बाद मुझे 1 मौका मिला मॉन्ट्रेनिंग का ओर वो भी NIM यानी नेहरू मॉन्ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की ओर से , मेरे एक खास दोस्त (चौधरी जी ) की मेहनत रंग लाई ओर मुझे ये मौका मिला । बहुत सुना था NIM के बारे में की ये हिन्दुस्थान की सबसे बढ़िया मॉन्ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट है यहाँ आने के लिए लोग 2-3 साल इंतज़ार करते है यहाँ के इन्सटेक्टर सबसे बढ़िया होते है और बहुत ज्यादा सख्त सिस्टम है यहां का ....चलो हम भी देखते है जोर कितना बाजुएं कातिल में है
                                  NIM की ओर से लैटर आते ही मैन 7600 रु की फीस ऑनलाइन भर दी । उसके बाद उन्होंने सीट नंबर  मुझे मेल कर दी तो भरोसा हो गया कि अबकी बार Nim जाना पका है उस मेल में एक लिस्ट भी थी जो सामान साथ लेके जाना था | कुछ सामान तो मेंरे पास था कुछ इस बार डीकेथेलोन (केचुआ) से ले लिया

                           लिस्ट में सबसे पहले वुलेन कैप था जो कि मेरे पास था पर एक हैट मुझे लेना पड़ा साथ मे एक लोअर , 2 शॉर्ट्स, 1 हेड लाइट, जुराबें, ट्रैक शूट मैन ले लिया कैमरा मेरे पास था ही साथ मे मोबाइल भी बढ़िया था जूते मैन कुछ समय पहले ही wildcraft के लिए थे उसको आजमाने का समय अभी आगया, एक वुडलैंड के सैंडल रख लिए ओर बाकी सब मैंने व्यवस्था करके बैगपैक कर लिया, अब सबसे जरूरी NIM जाने का रूट पता करना था तो आपने यात्रा ग्रुप में पूछ लिया जानकारी मिली हरिद्वार या ऋषिकेश से आराम से बस मिल जाएगी सुबह सुबह,  तो रात की 10:16 की एक उत्तरप्रदेश वूल्वो कि ऋषिकेश की 743 रु में टिकट बुक करवा ली।

        एक महीने की ट्रेनिंग थी तो सबसे बड़ी समस्या थी आफिस में सब सेटिंग करने की, ऊपर से हमारे आफिस की सबसे मैन कोडिनेटर सीमा की शादी है 10 मई को तो उनको भी 1 मई से एक महीने की छुटि चाहिए थी ...समस्या तो गंभीर बन गयी पर जहा चाह वहाँ राह होती ही है तो बड़े भईया को मनाया दिल्ली आ के आफिस संभालने को ओर मैडम को बोला थोडे कम दिनों की छुट्टी लेने को ... इस तरह यात्रा की रुकावटे दूर की ।

         आखिर 22 अप्रैल के दिन आगया जिस दिन यात्रा चालू करनी थी शाम को नहा के घर से खाना बना के और भर पेट खा के निकल गया, कश्मीरी गेट बस स्टैंड जाके पता किया तो बस का डिस्पेच गेट नंबर का पता किया, 12 नंबर गेट से मेरी बस समय से निकल गयी इस बीच मेरी जाट भाई से बात हुई थी तो प्रोग्राम में थोड़ा परिवर्तन कर लिया अब मैं हरिद्वार से ही बस बदलूंगा यही सोच के 3 बजे की अलार्म लगा के सो गया, मुझे बस हो या ट्रैन या कोई भी जगह नींद बड़ी जल्दी आजाती है तो आराम से सो गया सुबह 3:15 पे उसने समय पे हरिद्वार पहुंचा दिया वहाँ फ्रेश होके उत्तरकाशी वाली बस ढूंडी 5 बजे का समय था उसका चलने का ओर 270 रु किराया।  बैग रखके में चाय पीने चला गया साथ मे थोड़ा टाइम पास भी कर लिया इधर उधर घूम के पर बस 5 की जगह 5:30 निकली हरिद्वार से, बहुत ही खटारा बस थी पूरी हिल रही आज तो उत्तरकाशी की जगह कही सीधा भगवान के पास ही न पहुंचा दे और मेरा माउंट्रेनिंग का सपना सपना ही ना रह जाये, जैसे तैसे चले फिर ऋषिकेश ओर चम्बा भी उसका 30 मिनेन्ट का स्टॉप था तो वही आराम से उत्तर के थोड़ा घूम लिया साथ मे चम्बा में नास्ता भी कर लिया 2 समोसों का । यहां बस में हरिद्वार से आये इशांत भाई से बात हुयी जो एडवांस कोर्स करने NIM ही जा रहे थे उनसे दोस्ती हो गयी तो पता चला कि उन्होंने JIM (जवाहर इंस्ट्यूट ऑफ़ माउंट्रेनिंग सोनमर्ग)  से बेसिक कोर्स किया है पिछले साल, बस उत्तरकाशी तक उनसे कोर्स की जानकारी ले ली ओर साथ मे थोड़ी नींद भी ।

       हम दोपहर 1:30 पे उत्तरकाशी पहुंच गए यहाँ पे NIM का एक रिसेप्सन बना था  होटल भंडारी के अंदर बस स्टैंड के सामने ही , वहाँ जाके एंट्री करवाई ओर खाना भी वही खाया, वहाँ हमे साथ वाले कई स्टूडेन्ट भी मिल गए, सबसे पहले जो एडवांस करने आये उनसे जल्दी से जल्दी ज्यादा जानकारी लेले आगे जाने के बाद ये मौका मिले की नहीं और साथ में वो ही बता सकते थे की हमारे साथ आगे एक महीने तक क्या होने वाला है बस लग गए फिर , तक़रीबन 1 घंटे तक वही चर्चा चलती रही ज्यादा कुछ समझ तो आया नहीं पर हा सबने एक बात जरूर बोली जो भी होगा अच्छा ही होगा , NIM ने वहा से इंस्टिट्यूट तक लाने के लिए एक बस भी लगा रखी थी उसी से हम इंस्टीट्यूट के लिए निकल गए , उत्तरकाशी से NIM तकरीबन 3 किमी दूर है तो 10 मिनट में पहुंच भी गए |

     वाह जैसा नाम सुना था वैसी ही व्यवस्था,  हरा भरा एरिया बड़े बड़े चीड़ के पेड़, शानदार भवन, बहुत बड़ा कैम्प्स, आर्मी एरिया की तरह साफ़ सुथरा , बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स बानी हुयी है कुछ जगह मिस्त्री भी लगे है, भाई मुझे ये सब बहुत पसंद आया,  यहाँ आते ही सबसे पहले एंट्री हुई हॉस्टल में ही वहा रेखा मेडम और मनीष सर ने हमारी कागज चेक किये कुछ लोगो की फीस बाकि थी वो ली,
फिर होस्टल में रूम अलॉट कर दिए मेरा कमरा नम्बर 12 है,एक कमरे में 6 लोगो को रोका गया बेसिक और एडवांस के रूम अलग अलग थे शाम तक सभी साथियों के साथ मेल मिलाप चला, सबसे चर्चा यही हुयी की आगे क्या होगा। .... कुछ साथयो के घर से किसी दूसरे ने पहले कोर्स किया हुआ था तो उन्होंने भी कुछ जानकारी दी खेर समय जल्दी बीत गया और फिर रात का खाना खाने का समय आगया, NIM का पहला खाना साधारण पर पोस्टिक और स्वादिस्ट था एक दाल और साथ में पता गोभी की सब्जी और हा भात खाने वालो के लिए चावल भी थे और रोटी वालो के लिए बढ़िया रोटियां, खाना खा के हम सो गए सुबह 4:45 उठने को । अगले भाग में पहले दिन का सारा वर्तन्त लेके जल्दी ही हाजिर होयुगा |


NIM का मेरा पूरा तजुर्बा आप क्रम के हिसाब से नीचे दिए लिंक से पढ़ सकते है -
1.NIM -Nehru Institute Of​​ Mountaineering.......बेसिक कोर्स मेरे साथ
2.NIM में ट्रेनिंग का श्री गणेश DAY -1

3. NIM Basic Mountaineering Course Day-2

हरिद्वार से उत्तरकाशी जाने वाली बस -

उत्तरकाशी का विहंगम दर्शय                       


NIM में बना हमारा हॉस्टल और साथ में है सिनेमा हाल


हॉस्टल के अंदर का फोटो

हॉस्टल में हमारा रूम